Thursday, April 25, 2013


फिर से गुज़रे हुए सालों से मिला दिया उसने
                   
                               ----खुदगर्ज़ नदीम

फिर से गुज़रे हुए सालों से मिला दिया उसने,,
पल्बर की थी मुलाकात, मगर अहसास दिला दिया उसने,..
क्या खोया मैंने और क्या पा लिया उसने,
वोही जाने जिसका है ये खेल, बड़ी बेदर्दी से खेला मगर उसने,
मैंने चाँद-तारों की तो नहीं की थी बातें कभी..
मैं ज़मीं का था, सितारे ज़मीं पर दिखा दिया उसने..
हकीकत “नदीम” तेरे फसाने की कोई जानता नहीं,
पूछते हैं सभी मगर किसलिए, क्यूँ अर्श से फर्श पर ला दिया उसने....

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